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Wednesday, 1 June 2016

GHAZAL LYRICS IN HINDI

सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सोचा तुझे, देखा तुझे, चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं

दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा, बाकी बचा कुछ भी नहीं

अहसास की ख़ुशबू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं

                                                Dr. Bashir Badra

Tuesday, 31 May 2016

POPULAR SAD LOVE GHAZALS IN HINDI

ये ठीक है कि तेरी गली में न आयें हम.

लेकिन ये क्या कि शहर तेरा छोड़ जाएँ हम.

मुद्दत हुई है कूए बुताँ की तरफ़ गए,

आवारगी से दिल को कहाँ तक बचाएँ हम.

शायद बकैदे-जीस्त ये साअत न आ सके

तुम दास्ताने-शौक़ सुनो और सुनाएँ हम.

उसके बगैर आज बहोत जी उदास है,

'जालिब' चलो कहीं से उसे ढूँढ लायें हम.

सिखा देती है चलना ठोकरें भी राहगीरों को

कोई रास्ता सदा दुशवार हो ऐसा नहीं होता

कहीं तो कोई होगा जिसको अपनी भी ज़रूरत हो

हरेक बाज़ी में दिल की हार हो ऐसा नहीं होता

जो हो इक बार, वह हर बार हो ऐसा नहीं होता

हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा नहीं होता

हरेक कश्ती का अपना तज्रिबा होता है दरिया में

सफर में रोज़ ही मंझदार हो ऐसा नहीं होता

कहानी में तो किरदारों को जो चाहे बना दीजे

हक़ीक़त भी कहानी कार हो ऐसा नहीं होता...

Monday, 30 May 2016

POPULAR SAD LOVE GHAZALS IN HINDI

इस शहर-ए-खराबी में गम-ए-इश्क के मारे

ज़िंदा हैं यही बात बड़ी बात है प्यारे

ये हंसता हुआ लिखना ये पुरनूर सितारे

ताबिंदा-ओ-पा_इन्दा हैं ज़र्रों के सहारे

हसरत है कोई गुंचा हमें प्यार से देखे

अरमां है कोई फूल हमें दिल से पुकारे

हर सुबह मेरी सुबह पे रोती रही शबनम

हर रात मेरी रात पे हँसते रहे तारे

कुछ और भी हैं काम हमें ए गम-ए-जानां

कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे

Sunday, 29 May 2016

A HINDI SAD LOVE GHAZAL

दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं|
 
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं| 

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली,
 
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आँसू बहते हैं| 

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं,
 
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं| 

जिस की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिस के लिये बदनाम हुए, 

आज वही हम से बेगाने-बेगाने से रहते हैं| 

वो जो अभी रहगुज़र से, चाक-ए-गरेबाँ गुज़रा था,
 
उस आवारा दीवाने को 'ज़लिब'-'ज़लिब' कहते हैं

Friday, 27 May 2016

BASHIR BADR FAMOUS GAZAL

आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
                                       Bashir Badr

Wednesday, 25 May 2016

MUNAWWAR RANA SHAYARI

माँ | मुन्नवर राना के अश़आर

लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो कभी ख़फ़ा नहीं होती
#
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
#
मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुप्पट्टा अपना
#
ऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया
#
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई
#
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
#
अभी ज़िंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
#
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
#
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ  सज़दे में रहती है।
#
'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

Tuesday, 24 May 2016

WASEEM BARELVI FAMOUS GAZAL

ज़रा सा क़तरा कहीं आज गर उभरता है
समन्दरों ही के लहजे में बात करता है

ख़ुली छतों के दिये कब के बुझ गये होते
कोई तो है जो हवाओं के पर कतरता है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

ज़मीं की कैसी विक़ालत हो फिर नहीं चलती
जब आसमां  से  कोई  फ़ैसला उतरता है

तुम आ गये हो तो फिर चाँदनी सी बातें हों
ज़मीं पे चाँद  कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है

                             वसीम बरेलवी | Waseem Barelvi