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Tuesday, 26 July 2016

SHAYARI IN HINDI FONTS

अब कहाँ रस्म घर लुटाने की 
बरकतें थीं शराबख़ाने की 
कौन है जिससे गुफ़्तगू कीजे 
जान देने की दिल लगाने की 
बात छेड़ी तो उठ गई महफ़िल 
उनसे जो बात थी बताने की 

साज़ उठाया तो थम गया ग़म-ए-दिल 
रह गई आरज़ू सुनाने की 
चाँद फिर आज भी नहीं निकला 
कितनी हसरत थी उनके आने की

                    faiz-ahmad

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