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Wednesday, 10 August 2016

BEAUTIFUL SHAYARI

निगाहो दिल का अफसाना
निगाहो दिल का अफ़साना करीब-ए-इख्तिताम आया ।
हमें अब इससे क्या आया सहर या वक्त-ए-शाम आया ।।
ज़बान-ए-इश्क़ पर एक चीख़ बनकर तेरा नाम आया,ख़िरद की मंजिलें तय हो चुकीं दिल का मुकाम आया ।
न जाने कितनी शम्मे गुल हुईं कितने बुझे तारे,तब एक खुर्शीद इतराता हुआ बाला-ए-बाम आया ।
इसे आँसू न कह एक याद अय्यामे गुलिस्‍ताँ है,मेरी उम्रे रवां को उम्रे रफ़्ता का सलाम आया ।
बरहमन आब-ए-गंगा शैख कौसर ले उड़ा उससे,तेरे होठों को जब छूता हुआ मुल्ला का जाम आया  
                                      आनन्‍दनारायण मुल्‍ला

सृजन का दर्द 

अजब सी छटपटाहट,
घुटन,कसकन ,है असह पीङा
समझ लो
साधना की अवधि पूरी है

अरे घबरा न मन
चुपचाप सहता जा
सृजन में दर्द का होना जरूरी है
                         कन्हैयालाल नंदन

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