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Tuesday 26 July 2016

DESH BHAKTI SHAYARI IN HINDI

निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन कि जहाँ
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले
जो कोई चाहनेवाला तवाफ़ को निकले
नज़र चुरा के चले, जिस्म-ओ-जाँ बचा के चले
है अहले-दिल के लिए अब ये नज़्मे-बस्त-ओ-कुशाद
कि संगो-ख़िश्त मुक़य्यद हैं और सग आज़ाद
बहुत हैं ज़ुल्म के दस्त-ए-बहाना-जू के लिए
जो चंद अहले-जुनूँ तेरे नामलेवा हैं
बने हैं अहले-हवस मुद्दई भी, मुंसिफ़ भी
किसे वकील करें, किससे मुंसिफ़ी चाहें
मगर गुज़ारनेवालों के दिन गुज़रते हैं
तेरे फ़िराक़ में यूँ सुबह-ओ-शाम करते हैं
बुझा जो रौज़ने-ज़िंदाँ तो दिल ये समझा है
कि तेरी माँग सितारों से भर गई होगी
चमक उठे हैं सलासिल तो हमने जाना है
कि अब सहर तेरे रुख़ पर बिखर गई होगी
ग़रज़ तसव्वुर-ए-शाम-ओ-सहर में जीते हैं
गिरफ़्त-ए-साया-ए-दीवार-ओ-दर में जीते हैं
यूँ ही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़
न उनकी रस्म नई है, न अपनी रीत नई
यूँ ही हमेशा खिलाए हैं हमने आग में फूल
न उनकी हार नई है न अपनी जीत नई
इसी सबब से फ़लक का गिला नहीं करते
तेरे फ़िराक़ में हम दिल बुरा नहीं करते
गर आज तुझसे जुदा हैं तो कल ब-हम होंगे
ये रात भर की जुदाई तो कोई बात नहीं
गर आज औज पे है ताला-ए-रक़ीब तो क्या
ये चार दिन की ख़ुदाई तो कोई बात नहीं
जो तुझसे अह्द-ए-वफ़ा उस्तवार रखते हैं
इलाजे-गर्दिशे-लैल-ओ-निहार रखते हैं
                        faiz-ahmad

SHAYARI IN HINDI FONTS

अब कहाँ रस्म घर लुटाने की 
बरकतें थीं शराबख़ाने की 
कौन है जिससे गुफ़्तगू कीजे 
जान देने की दिल लगाने की 
बात छेड़ी तो उठ गई महफ़िल 
उनसे जो बात थी बताने की 

साज़ उठाया तो थम गया ग़म-ए-दिल 
रह गई आरज़ू सुनाने की 
चाँद फिर आज भी नहीं निकला 
कितनी हसरत थी उनके आने की

                    faiz-ahmad

Sunday 17 July 2016

AAG KI BHEEK BY RAMDHARI SINGH DINKAR

धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासा
कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसा
कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है
मुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा है
दाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला दे
बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे
प्यारे स्वदेश के हित अँगार माँगता हूँ
चढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँ

बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है
मँझदार है, भँवर है या पास है किनारा?
यह नाश आ रहा है या सौभाग्य का सितारा?
आकाश पर अनल से लिख दे अदृष्ट मेरा
भगवान, इस तरी को भरमा न दे अँधेरा
तमवेधिनी किरण का संधान माँगता हूँ
ध्रुव की कठिन घड़ी में, पहचान माँगता हूँ

आगे पहाड़ को पा धारा रुकी हुई है
बलपुंज केसरी की ग्रीवा झुकी हुई है
अग्निस्फुलिंग रज का, बुझ डेर हो रहा है
है रो रही जवानी, अँधेर हो रहा है
निर्वाक है हिमालय, गंगा डरी हुई है
निस्तब्धता निशा की दिन में भरी हुई है
पंचास्यनाद भीषण, विकराल माँगता हूँ
जड़ताविनाश को फिर भूचाल माँगता हूँ

मन की बंधी उमंगें असहाय जल रही है
अरमान आरजू की लाशें निकल रही हैं
भीगी खुशी पलों में रातें गुज़ारते हैं
सोती वसुन्धरा जब तुझको पुकारते हैं
इनके लिये कहीं से निर्भीक तेज ला दे
पिघले हुए अनल का इनको अमृत पिला दे
उन्माद, बेकली का उत्थान माँगता हूँ
विस्फोट माँगता हूँ, तूफान माँगता हूँ

आँसू भरे दृगों में चिनगारियाँ सजा दे
मेरे शमशान में आ श्रंगी जरा बजा दे
फिर एक तीर सीनों के आरपार कर दे
हिमशीत प्राण में फिर अंगार स्वच्छ भर दे
आमर्ष को जगाने वाली शिखा नयी दे
अनुभूतियाँ हृदय में दाता, अनलमयी दे
विष का सदा लहू में संचार माँगता हूँ
बेचैन जिन्दगी का मैं प्यार माँगता हूँ

ठहरी हुई तरी को ठोकर लगा चला दे
जो राह हो हमारी उसपर दिया जला दे
गति में प्रभंजनों का आवेग फिर सबल दे
इस जाँच की घड़ी में निष्ठा कड़ी, अचल दे
हम दे चुके लहु हैं, तू देवता विभा दे
अपने अनलविशिख से आकाश जगमगा दे
प्यारे स्वदेश के हित वरदान माँगता हूँ
तेरी दया विपद् में भगवान माँगता हूँ

                                                      --Ramdhari Singh Dinkar

Thursday 7 July 2016

WHATSUP STATUS IN HINDI

  • जब इत्मीनान से, खंगाला खुद को…थोडा मै मिला और बहुत सारे तुम…
  • सिर्फ़ अल्फ़ाज़ की ही बस बात थी… जज़्बात तो वो वैसे भी नहीं समझते
  • एक दिन ऐसा आएगा तूँ मुझे Request भेजना चाहेगी लेकिन वहाँ सिर्फ एक ही Option होगा Follow me..!!
  • खामोशी के भी अपने अल्फाज़ होते हैं ,अगर तुम समझ जाते तो आज मेरे करीब होते।
  • समझदार ही करते है अक्सर गलतिया,कभी देखा है किसी पागल को मोहब्बत करते
  • कुत्ते भौंकते है अपना वजूद बनाये रखने के लिये …. और लोगो की खामोशी हमारी मौजूदगी बयाँ करती है ।।
  • खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं…
  • उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी, जहाँ सारा शहर अपना था और तुम अजनबी…
  • इस स्वार्थी दुनिया में जीना है तो सोते हुए भी पैर हिलाते रहो … वर्ना लोग मरा हुआ समझ कर जलाने में देर नहीं लगाएंगे..
  • सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।
  • हर गुनाह कबूल हैं हमें, बस सजा देने वाला “बेगुनाह” हो…
  • दुनिया की सबसे बड़ी ग़लतफहमी : जब नसीब चलता है तो लोगों को गुमान हो जाता है कि उनका दिमाग चल रहा है…
  • सोचते है सीख ले हम भी बेरुखी करना सब से , सब को महोब्बत देते देते हमने अपनी क़दर खो दी है
  • लोग फ्री का wi -fi नहीं छोड़ते और पगली तूने इतना प्यार करने वाला लड़का छोड़ दिया
  • दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना .. क्यों कि ‘नकाब’ हो या ‘नसीब’ सरकता जरूर है…
  • रुकावटे तो ज़िन्दा इन्सान के लिए हैं…..मय्यत के लिए तो सब रास्ता छोड़ देते है…
  • उन्होंने तो हमें धक्का दिया था डुबाने के इरादे से… अंजाम ये निकला हम तैराक बन गए।
  • Oye तू तेरे ATTITUDE की फोटो खींच कर OLX पे बेच दे, क्योंकि पुरानी चीज हमें पसंद नहीं…
  • ज़िन्दगी से आप जो भी बेहतर से बेहतर ले सकते हो ले लो क्यूंकि जब ज़िन्दगी लेने पर आती है तो साँसे तक भी ले जाती है
  • चाहे कितना ही डाईटिंग कर लो, जब तक भाव खाना बंद नहीं करोगी, वजन कम नहीं होगा…
  • इतने अमीर तो नहीं कि सब कुछ खरीद लें…पर इतने गरीब भी नहीं हुए कि खुद बिक जाएँ।
  • मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना ,अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी..
  • जो व्यस्त थे वो व्यस्त ही निकले, वक्त पर फ़ालतू लोग ही काम आये।

Sunday 3 July 2016

TWO LINE STATUS IN HINDI FONTS

1. कुछ बातों के मतलब हैं, और कुछ मतलब की बातें,

     जब से फर्क समझा, जिंदगी आसान हो गई।


2. बहुत शराब,चढाता हुँ रोज,तब जाकर तुम, कहीं उतरती हो..


3. दफन सिर्फ : फीट के गड्ढे में कर दिया उसे,,

   ज़मीन जिसके नाम.. कईं करोड़ो में थी. !!*!!


4. उसे लगता था कि उसकी चालाकियां हमें समझ नहीं आतीं

   हम बड़ी खामोशी से देखते थे उसे अपनी नजरों से गिरते हुए।


5. एक ही शहर से इतने जनाज़े ग़ालिब,

   हसीनाओ पे कोई पाबंदी लगाओ !!


6. मुनाफे की बात नहीं होती हमारे कारोबार में,

   हम आईना बेचा करते हैँ अंधों के बाजार में.


7. मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,

   मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख…! 


8. एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों,

   जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…!!


9. एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों,

   जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…!!


10. ये दुनिया अक्सर सस्ते में उन्हें लूट लेती है,

   खुद की क़ीमत का जिन्हें अन्दाज़ा नहीं होता I


11. किसकी खातिर अब तु धड़कता है दिल,

    अब तो कर आराम , कहानी खत्म हुई ।।


12. जरा सा संभाल के इश्क करना मेरे यार...

    यहाँ गिरबान मौसम की तरह बदलते है लोग..


13. आज फिर से मिले अजनबी से बनकर...

    और हमें आज फिर से... मोहब्बत हो गई ||