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Sunday 29 May 2016

A HINDI SAD LOVE GHAZAL

दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं|
 
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं| 

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली,
 
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आँसू बहते हैं| 

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं,
 
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं| 

जिस की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिस के लिये बदनाम हुए, 

आज वही हम से बेगाने-बेगाने से रहते हैं| 

वो जो अभी रहगुज़र से, चाक-ए-गरेबाँ गुज़रा था,
 
उस आवारा दीवाने को 'ज़लिब'-'ज़लिब' कहते हैं

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