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Wednesday 4 May 2016

FAMOUS HINDI GHAZALS

जो कुछ है मेरे दिल में वो सब जान जाएगा । 
उसको जो मैं मनाऊँ तो वो मान जाएगा ।
बरसों हुए न उससे मुलाकात हो सकी,
दिल फिर भी कह रहा है, वो पहचान जाएगा ।
दामन तेरे करम का, न मुझको अगर मिला,
तू ही बता कहाँ मेरा अरमान जाएगा ।
'अंदाज़' बढ़ती जाएगी दीवानगी यूँ ही,
मेरी तरफ अगर न तेरा ध्यान जाएगा ।
                                                                                                      - अनिल कुमार 'अंदाज़' 
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कभी पत्थर कभी कांटे कभी ये रातरानी है
यही तो जिन्दगानी है,यही तो जिन्दगानी है
जमीं जबसे बनी यारो तभी से है वजूद इसका
नये अन्दाज दिखलाती मुहब्बत की कहानी है
मुझे लूटा है अपनो ने तुझे भी खा गये अपने
यही तेरी कहानी है यही मेरी कहानी है
खुशी से रह रहे थे हम मिले तुझसे नहीं जब तक
तुझे मिलकर हुआ ये दिल गमों की राजधानी है
रहे डरते सखा ताउम्र कुछ करने से पहले हम
हुये है मस्त कितने जब से छोड़ी सावधानी है
मुहब्बत छुपाने से कभी छुप पाई है यारो
उजागर हो ही जाती है मुहब्बत वो कहानी है
सदा सच बोलना दुश्मन बना लेना 'सखा' जी
कमी मुझमें मेरी अपनी नहीं खानदानी है
                                                                                                       - डॉ. श्याम सखा श्याम
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जंगल-जंगल ढूँढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को

कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी को

इसको भावशून्यता कहिये चाहे कहिये निर्बलता

नाम कोई भी दे सकते हैं आप मेरी मजदूरी को

सम्बंधों के वो सारे पुल क्या जाने कब टूट गए

जो अकसर कम कर देते थे मन से मन की दूरी को

दोष कोई सिर पर मढ़ देंगे झूठे किस्से गढ़ लेंगे

कब तक लोग पचा पाएँगे मेरी इस मशहूरी को

हम बंधुआ मजदूर समय के हाल हमारा मत पूछो

जनम-जनम से तरस रहे हैं हम' अपनी मजदूरी को

हमने भी बाजार में अपना खून-पसीना एक किया

रिश्वत क्यों कहते हो यारो थोड़ी-सी दस्तूरी को
                                                                                                                     -विजय कुमार सिंघल
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बचकर रहना इस दुनिया के लोगों की परछाई से
 
इस दुनिया के लोग बना लेते हैं परबत राई से।
सबसे ये कहते थे फिरते थे मोती लेकर लौटेंगे

मिट्टी लेकर लोटे हैं हम सागर की गहराई से।
नाहक सोच रहे हो तुमपर असर ना होगा औरों का

चाँद भी काला पड़ जाता है धरती की परछाई से।
इससे ज्यादा वक्त बुरा क्या गुजरेगा इंसानों पर

नेक काम करने वाले भी डरते हैं रुसवाई से।
फूल जो तुमने फेंक दिए दरिया में उनकी मत पूछो

पत्थर थर-थर काँप रहे हैं दरिया की अँगड़ाई से।
तुमको आगे बढ़ना है तो बहता पानी बन जाओ

ठहरा पानी ढक जाता है इक दिन अपनी काई से।
                                                      -विजय कुमार सिंघल

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