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Monday 13 June 2016

TOW LINES SHAYARI

मिटातीं है किसी को… बनातीं है किसी को…
मोहोब्बतें भी आजकल की… सियासी हो गयीं हैं ||


अजीब किस्सा है जिन्दगी का,
अजनबी हाल पूछ रहे हैं और अपनो को खबर तक नहीं..


ये जो हालात हैं एक रोज सुधर जायेंगे..
पर कई लोग मेरे दिल से उतर जायेंगे..


मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग..
‪‎पर‬ किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..


सुना था.. मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले |
हमारी बारी आई तो, रिवाज हि बदल गया ||


अगर लोग यूँ ही कमिया निकालते रहे तो,
एक दिन सिर्फ खुबिया ही रह जायेगी मुझमे !

एक सिगरेट सी मिली तू मुझे..
ए आशिकी कश एक पल का लगाया था लत उम्र भर की लग गयी|

बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए..!

वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सका..
जाने क्यूँ मैंने उसके लिए अपनी जिंदगी बदल डाली

कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग,
दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते|

अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का,
कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है!

“कोइ मिल जाए तुम जैसा ये ना-मुमकिन है,
पर तुम ढुँढ लो हम जैसा इतना आसान ये भी नहीं…!!!”

जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा ,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है..

मौत से कैसा डर, मिनटों का खेल है,
आफत तो जिंदगी है, बरसों चला करती है..

मेरे इंतज़ार की हद और क्या होगी ज़ालिम,
कि मेरी आँखें बन्द न हुई मेरे मरने के बाद भी ..

मोहब्बत भी ठंड जैसी है,
लग जाये तो बीमार कर देती है..

हम बने ही थे तबाह होने के लिए..
तेरा छोड़ जाना तो महज़ इक बहाना था.!!

दुनिया खरीद लेगी हर मोड़ पर तुझे…
तूने जमीर बेचकर अच्छा नहीं किया..

फूल यूँ ही नहीं खिलते,
बीज को दफ़न होना पड़ता है..!!

Thursday 9 June 2016

GAZALS IN HINDI FONTS

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो

बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं

तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो

यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें

इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश

हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा

ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो

HINDI GAZALS IN HINDI FONTS

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक

किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब

सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैं

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम

हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम हैं

Monday 6 June 2016

HINDI STATUS IN HINDI FONTS

उड़ती थी जो मुँह तक आज लिपटी है पाँव से

ज़रा सी बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई




जो कयामत उसने मेरे दिल पर ढहाई हैं…..

सच कहते हैं लोग मौत से बुरी जुदाई है…




आँधियों में भी जो जलता हुआ मिल जाएगा..

उस दिये से पूछना, मेरा पता मिल जाएगा..




कितने गम दिये मैंने, कितनी खुशी दी तुमने,

मार्च का महीना आ गया है आ तू भी हिसाब कर ले…!




अब मै समझा तेरे , रुकसार पे तिल का मतलब .,,.

दौलत -ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है .,.,.!!!!





तुम हंसो तो दिन, चुप रहो तो रातें हैं ,

किस का ग़म, कहाँ का ग़म, सब फज़ूल बातें हैं ..




इतने संगदिल ना बनो कुछ तो मुरव्वत सीखो …!

तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे ?…




मुझे भीख की खुशियाँ मंज़ूर नहीं,

मैं जीता हूँ अपनी तकलीफों में भी नवाबों की तरह…




आँखों में आ जाते हैं आँसू फिर भी लबों पे हँसी रखनी पड़ती है,

ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारों, जिस से करते हैं,उसी से छुपानी पड़ती 

है..



कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को ..
जो रूठा भी ना हो और बात भी ना करे ..!!


ज़िन्दगी चैन से गुज़र जाए….
वो अगर ज़ेहन से उतर जाएँ…..!!


Sunday 5 June 2016

JAGJIT SINGH GHAZAL

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो
पत्थरों में भी ज़ुबाँ होती है दिल होते हैं
अपने घर की दर-ओ-दीवार सजा कर देखो
फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढा़ कर देखो

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा
एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा
मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा

Friday 3 June 2016

AANKHON ME JAL RAHA HAI KYUN BY GULZAR

आँखों में जल रहा है क्यूँ, बुझता नहीं धुँआ
उठता तो है घटा-सा बरसता नहीं धुँआ,
चूल्हे नहीं जलाए या बस्ती ही जल गयी
कुछ रोज़ हो गए हैं अब, उठता नहीं धुँआ,
आँखों के पोंछने से लगा आंच का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुँआ,
आँखों से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमां ये घर में आयें तो चुभता नहीं धुँआ.

                                                   Gulzar

Wednesday 1 June 2016

GHAZAL LYRICS IN HINDI

सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सोचा तुझे, देखा तुझे, चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं

दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा, बाकी बचा कुछ भी नहीं

अहसास की ख़ुशबू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं

                                                Dr. Bashir Badra