उड़ती थी जो मुँह तक आज लिपटी है पाँव से
ज़रा सी बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई
जो कयामत उसने मेरे दिल पर ढहाई हैं…..
सच कहते हैं लोग मौत से बुरी जुदाई है…
आँधियों में भी जो जलता हुआ मिल जाएगा..
उस दिये से पूछना, मेरा पता मिल जाएगा..
कितने गम दिये मैंने, कितनी खुशी दी तुमने,
मार्च का महीना आ गया है आ तू भी हिसाब कर ले…!
अब मै समझा तेरे , रुकसार पे तिल का मतलब .,,.
दौलत -ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है .,.,.!!!!
तुम हंसो तो दिन, चुप रहो तो रातें हैं ,
किस का ग़म, कहाँ का ग़म, सब फज़ूल बातें हैं ..
इतने संगदिल ना बनो कुछ तो मुरव्वत सीखो …!
तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे ?…
मुझे भीख की खुशियाँ मंज़ूर नहीं,
मैं जीता हूँ अपनी तकलीफों में भी नवाबों की तरह…
आँखों में आ जाते हैं आँसू फिर भी लबों पे हँसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारों, जिस से करते हैं,उसी से छुपानी पड़ती
है..
ज़रा सी बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई
जो कयामत उसने मेरे दिल पर ढहाई हैं…..
सच कहते हैं लोग मौत से बुरी जुदाई है…
आँधियों में भी जो जलता हुआ मिल जाएगा..
उस दिये से पूछना, मेरा पता मिल जाएगा..
कितने गम दिये मैंने, कितनी खुशी दी तुमने,
मार्च का महीना आ गया है आ तू भी हिसाब कर ले…!
अब मै समझा तेरे , रुकसार पे तिल का मतलब .,,.
दौलत -ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है .,.,.!!!!
तुम हंसो तो दिन, चुप रहो तो रातें हैं ,
किस का ग़म, कहाँ का ग़म, सब फज़ूल बातें हैं ..
इतने संगदिल ना बनो कुछ तो मुरव्वत सीखो …!
तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे ?…
मुझे भीख की खुशियाँ मंज़ूर नहीं,
मैं जीता हूँ अपनी तकलीफों में भी नवाबों की तरह…
आँखों में आ जाते हैं आँसू फिर भी लबों पे हँसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारों, जिस से करते हैं,उसी से छुपानी पड़ती
है..
कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को ..
जो रूठा भी ना हो और बात भी ना करे ..!!
ज़िन्दगी चैन से गुज़र जाए….
वो अगर ज़ेहन से उतर जाएँ…..!!
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